BA Semester-2 - History - History of Medival India 1206-1757 AD - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-2 - इतिहास - मध्यकालीन भारत का इतिहास 1206-1757 ई. - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 - इतिहास - मध्यकालीन भारत का इतिहास 1206-1757 ई.

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2720
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बीए सेमेस्टर-2 - इतिहास - मध्यकालीन भारत का इतिहास 1206-1757 ई.

अध्याय - 5 
मुगल : बाबर, हूमायूँ, प्रशासन एवं भू-राजस्व व्यवस्था
विशेष सन्दर्भ में शेरशाह का अन्तर्मन

जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर का जन्म 14 फरवरी, 1483 ई. को मावराउन्नहर (ट्रांस आक्सियाना) की एक छोटी सी रियासत 'फरगना' में हुआ था। बाबर के पिता का नाम उमर शेख मिर्जा था, जो फरगना की जागीर का मालिक था। उसकी माता का नाम कुततुगनिगार खाँ था। बाबर पितृ पक्ष की ओर से तैमूर का पाँचवा वंशज था तथा माता की ओर से चंगेज खाँ का चौदहवाँ वंशज था। इस प्रकार उसमें तुर्कों और मंगोलों दोनों के रक्त का सम्मिश्रण था। बाबर ने जिस नवीन राजवंश की नींव डाली वह तुर्की नस्ल का 'चगताई वंश' था जिसका नाम चंगेज खाँ के द्वितीय पुत्र के नाम पड़ा था। बाबर ने अपने पिता की मृत्यु के उपरान्त 11 वर्ष की आयु में 1494 ई. में फरगना की गद्दी पर बैठा था। बाबर के सिंहासनारूढ़ होते ही उसकी कठिनाइयाँ प्रारम्भ हो गयीं। तात्कालिक समस्या अहमद मिर्जा और महमूद ख़ाँ का आक्रमण था परन्तु बाबर ने अपने कूटनीतिक उपायों और दृढ़ता से उन्हें वापस जाने के लिये विवश कर दिया।

बाबर का भारत पर आक्रमण मध्य एशिया में शक्तिशाली उजबेकों से बार-बार पराजय, शक्तिशाली सफवी वंश तथा उस्मानी वंश के भय का प्रतिफल था। बाबर के आक्रमण का मूल उद्देश्य भारत के धन को लूटना तथा अपने राज्य की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करना करना। समरकन्द को जीतने का प्रथम प्रयत्न उसने 1496 में किया। यद्यपि उसका प्रयत्न असफल रहा किन्तु यह असफलता अस्थायी सिद्ध हुई। 1504 में बाबर ने अत्यन्त साहसपूर्वक काबुल पर विजय प्राप्त कर ली तथा समरकन्द को भी पुनः जीत लिया। 1507 में बाबर ने काबुल पर अधिकार कर बादशाह की पदवी ग्रहण की। 1503 में एक बुढ़िया ... सुनाई गई। तैमूर के भारत आक्रमण की कहानी से बाबर भारत विजय हेतु अत्यधिक प्रभावित हुआ था। इसके अतिरिक्त उत्तर- पश्चिम की ओर की असफलता ने उसे विश्वास दिला दिया था कि यदि उसे अपना साम्राज्य स्थापित करना है तो दक्षिण-पूर्व अर्थात् भारत पर अधिकार करना अत्यन्त आवश्यक है।

1530 ई. में बाबर की मृत्यु के पश्चात् इसका ज्येष्ठ पुत्र हुमायूँ बादशाह हुआ। यह काल अत्यन्त संकट व समस्यायों से युक्त था। हुमायूँ को यद्यपि उत्तराधिकार में एक विशाल साम्राज्य प्राप्त हुआ था जो मध्य एशिया में आमू नदी से उत्तरी भारत में बिहार तक विस्तृत था। लेकिन इस विशाल साम्राज्य की आधारशिला दुर्बल थी और आंतरिक रूप से इसमें संगठन या शक्ति का अभाव था।

शेरशाह एक महान विजेता तथा प्रशासक था। इसमें वीर सैनिक के भी गुण थे तो एक योग्य राजा की चतुराई भी थी। शेरशाह के व्यक्तित्व के विषय में विचारकों का मानना है कि इसमें एक ओर शेर के समान साहस व हमला करने की योग्यता थी तो वहीं दूसरी ओर उसमें परिस्थितियों के अनुरूप तालमेल बिठाने की लोमड़ी जैसी चालाकी भी थी। शेरशाह के व्यक्तित्व का विश्लेषण किया जाए तो वह कई रूपों में दिखाई पड़ता है। 

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • बाबर ने अपना राज्याभिषेक 'ऐसान दौलत बेगम' के सहयोग से कराया।
  • बाबर ने अपनी आत्मकथा 'बाबरनामा' में केवल पाँच मुस्लिम शासकों— बंगाल, दिल्ली, मालवा, गुजरात एवं बहमनी राज्यों तथा दो हिन्दू शासकों मेवाड़ तथा 'विजय नगर' का ही उल्लेख किया है।
  • बाबर ने अपनी आत्मकथा 'बाबरनामा' में विजय नगर के तत्कालीन शासक 'कृष्णदेवराय को समकालीन भारत का सबसे शक्तिशाली राजा कहा है।
  • बाबर ने पानीपत विजय से पूर्व भारत पर चार बार आक्रमण किया था। इस प्रकार पानीपत विजय उसका पाँचवाँ आक्रमण था।
  • बाबर ने भारत पर पहला आक्रमण 1519 में 'बाजौर' पर किया था और उसी आक्रमण में ही उसने 'भेरा' के किले को भी जीता था।
  • आशीर्वादी लाल श्रीवास्तव ने बाबर एवं राणा सांगा की सेनाओं में 1:2 का अनुपात बताया है, जो अधिक तर्कसंगत प्रतीत होता है।
  • बाबर ने पानीपत की विजय के बाद कहा था कि- "काबुल की गरीबी अब हमारे लिए फिर नहीं।" जिसका उल्लेख बाबरनामा में मिलता है।
  • बाबर ने एक काव्य संग्रह 'दीवान' (तुर्की भाषा) का संकलन करवाया।
  • बाबर ने 'मुबइयान' नामक एक पद्य शैली का विकास किया।
  • उसने 'रिसाल-ए- उसज' की रचना की जिसे 'खत - ए - बाबरी' भी कहा जाता है।
  • बाबर के बारे में लेनपूल ने लिखा है कि “Babur was a mere Solidier of farture and not the founder of an emplire."
  • बाबर की मृत्यु के बाद उसका सबसे बड़ा पुत्र हुमायूँ दिसम्बर 1530 ई. में 23 वर्ष की आयु में गद्दी पर बैठा।
  • हुमायूँ का शाब्दिक अर्थ होता है 'भाग्यवान'।
  • शेरशाह का आरम्भिक नाम फरीद था।
  • जून 1539 ई. में शेर खाँ ने बक्सर के पास चौसा नामक स्थान पर हुमायूँ को पराजित किया। पूरी मुगल सेना क्षत-विक्षत हो गई। एक भिश्ती ने हुमायूँ की जान बचाई।
  • मुल्तान व सिंध पर भी शेरशाह ने अधिकार कर लिया।
  • शेरशाह ने मारवाड़ के शासक मालदेव को पराजित कर उस पर अधिकार कर लिया।
  • शेरशाह का अंतिम सैनिक अभियान कालिंजर के शासक कीर्तिसिंह के विरुद्ध था। उसने कालिंजर के किले की घेराबंदी कर दी। घेराबंदी के दौरान एक तोप की नली फटने से वह गंभीर रूप से घायल हो गया। किले की फतह का समाचार सुनने के बाद वह मौत की नींद सो गया।
  • शेरशाह की मृत्यु के बाद उसका दूसरा पुत्र जलाल खाँ गद्दी पर बैठा। उसने इस्लाम शाह की उपाधि धारण की और 1553 तक राज्य किया।
  • शेरशाह ने भूकर का निर्धारण उसकी गुणवत्ता के आधार पर किया तथा बुआई को अन्तर्गत आने वाली भूमि की पैमाइश कराई।
  • शेरशाह ने भू-कर सीधे खेतिहरों के साथ निश्चित किया, जो उपज का 1/4 या 1/3 होता था। कर को अनाज या नगद रूप में लिया जाता था।
  • दरों की एक प्रणाली 'रय' थी, जिसके अंतर्गत उपज की अलग-अलग किस्मों पर राज्य के भाग की दर अलग-अलग होती थी।
  • शेरशाह ने राजस्व अधिकारियों को आदेश दिया था कि वे कर निर्धारण में नरमी बरतें, परन्तु कर वसूलने में सख्ती।
  • शेरशाह न्यायप्रिय शासक था और उसने विभिन्न स्थानों पर काजियों की नियुक्ति की।
  • इस्लामशाह ने कानून को लिखित रूप देकर इस्लामी कानून की व्याख्या के लिए किसी व्यक्ति विशेष पर निर्भर रहने की आवश्यकता को समाप्त करने का प्रयास किया।
  • शेरशाह ने अलाउद्दीन खिलजी के सैन्य सुधार लागू किये, जिसके अनुसार सैनिकों का चेहरा व चरित्र का पंजीयन और घोड़ों को दागने का कार्य किया गया।
  • शेरशाह ने राजस्थान विजय किया।
  • शेरशाह ने भू-राजस्व के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कार्य किए।
  • शेरशाह ने भूमि की पैमाइश कराई।
  • शेरशाह किसानों से 1/4 भाग राजस्व वसूलता था।
  • शेरशाह ने ग्रांड ट्रंक रोड का निर्माण करवाया।
  • शेरशाह ने अलाउद्दीन खिलजी के सैन्य सुधारों को जारी रखा।

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    अनुक्रम

  1. अध्याय -1 तुर्क
  2. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  3. उत्तरमाला
  4. अध्याय - 2 खिलजी
  5. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  6. उत्तरमाला
  7. अध्याय - 3 तुगलक वंश
  8. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  9. उत्तरमाला
  10. अध्याय - 4 लोदी वंश
  11. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 5 मुगल : बाबर, हूमायूँ, प्रशासन एवं भू-राजस्व व्यवस्था विशेष सन्दर्भ में शेरशाह का अन्तर्मन
  14. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  15. उत्तरमाला
  16. अध्याय - 6 अकबर से शाहजहाँ : मनसबदारी, राजपूत एवं महाराणा प्रताप के सम्बन्ध व धार्मिक नीति
  17. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  18. उत्तरमाला
  19. अध्याय - 7 औरंगजेब
  20. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  21. उत्तरमाला
  22. अध्याय - 8 शिवाजी के अधीन मराठाओं के उदय का संक्षिप्त परिचय
  23. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 9 मुगलकाल में वास्तु एवं चित्रकला का विकास
  26. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  27. उत्तरमाला
  28. अध्याय - 10 भारत में सूफीवाद का विकास, भक्ति आन्दोलन एवं उत्तर भारत में सुदृढ़ीकरण
  29. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  30. उत्तरमाला

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